मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

थोड़ी सी चाय पत्ती और मैं तुम

थोड़ी सी चाय पत्ती और मैं तुम 

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थोड़ी सी चाय पत्ती शक्कर पानी
दूद बर्तन में और धुप किरणों में
मिचमिचाती आँखों से उडती भाप
ऊष्मा का न्रत्य गरम् हवा के साथ
निगाहें मिलने लगी स्वाद आने लगा
चाय खिलखिलाई दिल मचलने लगा
जाग उठी हसरतें अब जाग उठो तुम
जल उठा मेरा बदन जल उठा तेरा दिन
में तैयार हूँ तुम्हारा धुप का सूप ले कर
मुझे होटों से लगाओ इसको पी जाओ
मैं तो चाय की प्याली हूँ तू ही पीने वाला
सारा दिन चुस्कियों की चुस्की लेने वाला
बस !!
तुम्हारा इतना याद रखना काफी होगा
जो तुझमें समाया मैं तेरा वो हमसाया हूँ
दिली खुशियों का गवाह तेरी मैं रहा हूँ
तेरे हर एक गम में साथ मैं भी रोया हूँ
तुझमें गमें एहसास का समन्दर है तो
मैं तेरे लिए ही खुशियाँ लिये अन्दर हूँ
दोस्त !
तेरी आँखों में रश्क लिए है आंसू झरी है
मेरे अन्जुल में चाह लिए चाय तेरी है
तेरे होसलों में जिन्दा तेरी खुद्दारी है
मेरे दामन में गम ख़ुशी दुनियादारी है
तू भी धड़कन है में भी तो धड़कन हूँ
तू भी बरतन ही है और मैं भी बर्तन हूँ
#सारस्वत
23082012

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