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रब देख रहा है सब देख रहा है ,
फिर भी परवाह नहीं करता
ये ज़मीन वाला
उस आसमान वाले से अब डरा नहीं करता
जैसे शाजिश की मिटटी में ,
बोया गया उगाया गया बीज
बड़ा पेड़ बन कर भी ,
अमर्त के फल कभी दिया नहीं करता
वैसे ही अईय्यासी की ,
नीव पर खड़ी हुई इमारत बुलंद में
प्रतिध्वनी देता ,
मन्दिर का घंटा कभी भी बजा नहीं करता
साफगोई की दस्तकारी में ,
माहिर लोग मिलेंगे चारों तरफ
देखो तो सही ,
बंद आंखे खोलकर 'क्या कहा ?? जी नहीं करता
नक़ाब लगे चेहरे के पीछे भी ,
होता है एक चेहरा यक़ीनन
'जो,सच कहता है
इतनी चालाकी से , कोई यकीं नहीं करता
#सारस्वत
24112013
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