सोमवार, 4 नवंबर 2013

मै हूँ आम आदमी

मै हूँ आम आदमी 

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मै हूँ आम आदमी
जो अमरुद कभी बन ना सका
टपका किस्मत पे लगा फटका
और दसहरी भी लंगड़ा हुआ 
मुझ में और आम तुझ में
कोई ज्यादा फर्क नही है
शक्ल अक्ल रंग ढंग जुदा तो हैं
पर इतनी भी अलग नही है
आम गर तू फलों का रजा है तो
आम आदमी भी बादशाहा से कम नही
तुझ में है स्वाद सेहत का राज
मुझ में भी गरत कुछ कम नही है
तुझ को खाया जब भी जिसने भी
तेरी तारीफ में उसने कसीदे पढ़े है
मुझको खा चबा गये वो चंद लोग
जो नेता की नस्ल में पैदा हुए है
पर आज अपना दर्द कहु तो किस से
इज्जत की तार तार , पगड़ी के किये हिस्से
जेब कतर ली मेरी कमर तोड़ दी
मरजानी मंहगाई ने , रह गया पिस के
नाम तक मेरा चुरा लिया आज चोरों ने
आम आदमी रख लिया नाम नेता खोरो ने
अब मुझे यंहा कोई पहचानता नही है
आम आदमी भी आम आदमी को जनता नही है
लेकिन मैं खुश हूँ फिर भी
गिरगिट का रंग मुझ पे चढ़ न सका
मैं हूँ वो आम आदमी
जो अमरुद कभी बन ना सका
#सारस्वत
04112013

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