बुधवार, 1 जनवरी 2014

साल की पहली रात

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यारो की यारी आबाद करो सब मिलके साथ
एक नई शुरुआत करो नये दिन साल के साथ

परेशानियां तो आज भी हैं कल की तरहा ही
था कमाल का साल वो भी जाने किधर गया
सोचता हूँ नई बात करूं नई उम्मीद के साथ
जशन शुरू करो नई उम्मीद की तलब के साथ

चलो इस बार नया आसमान मिलकर ढूँढ़ते है
नये हौसलों की जुनून से नई इबारत लिखते हैं
गम औ' ख़ुशी का मेल हो जिस दरिया के साथ
मोहब्बत का वो नजरिया खोजते हैं एक साथ

आज तो गुनाहों पर शर्मिंदा होने का वक्त है
अपनी गलतियाँ सुधारने का ये सही वक्त है
आओ टूटे दिलों को जोड़े आज मिल के साथ
चलो खताओं के खाते से माफ़ी मांगते हैं साथ

ख्वाइशों को कोशिशों के पंख लगा आकाश दो
प्यार दो मोहब्बत को सरगम सुरों से सजा दो
वादे ना चलो इरादे करते हैं मुस्कराहट के साथ
चलो दो कदम साथ चलते हैं हम सपनों के साथ

बस आज की रात है बेनकाब फ़रियादों की रात
साज़िशों से दूर निकल ख़ास निगेहबानी के साथ
सगाई खुशियों की ख़ुशियों से हो रिहाई के साथ
गुजार एक रात तू भी दिल के करीब खुद के साथ
#सारस्वत
2014
साल की पहली रात 

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