मंगलवार, 28 जनवरी 2014

अब दिलों के बीच

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अब दिलों के बीच मिलने की
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
हुए मजबूर इतने हालात
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
रस्ते कुछ इस तरहा जुदा हुए
रिश्ते भी रास्तों पर आ गए
दिलों में लगी गाँठ खुलने की
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
याद आती है जख्म दे जाती है
फांसलों के फैसले सुना जाती है
रहा सवाल करीब आने का
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
रेत होता तो फिसल जाना था
राख होता तो खाक हो जाना था
खून हुआ खून का रिश्ता 'अब'
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
#सारस्वत
28012014 

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