शनिवार, 25 जनवरी 2014














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माँभारती पुकारती ; भूभारती के लाल को !
रक्त से करो श्रृंगार ; आँचल ये मेरा लाल हो !!
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रक्त में उबाल हो ; क्रोध की मशाल हो !
धड़कने धधक उठे ; जैसे की भूचाल हो !!
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ना द्वंद ना बवाल हो ; ना धर्म का सवाल हो !
विजयी तुम्हारा भाल ; शत्रु का कपाल हो !!
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असुरजनों का अंत हो ; हों तो मात्र संत हो !
धर्म हो सुपंथ हो ; सृजन हो न की अंत हो !!
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उठो बढ़ो बढे चलो ; बढे चलो निशंक हो !!
लगा के ह्रदय कंठ से ; लौह मंन ढले चलो !!
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विजय की भोर हो ; ना हार की निशीथ हो !!
ह्रदय में एक भाव हो ; धर्म की ही जीत हो !!
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बुद्धि और शक्ति का ; आज तूम प्रमाण दो !
समयकाल मांग को ; आज तुम जवाब दो !!

#सारसवत
26062014

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