जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
गुरुवार, 9 जनवरी 2014
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जाने क्यूँ लोग लब्जों को इजहार कहते हैं
किसी की झुकी निगाहों को इकरार कहते हैं
सिर्फ प्यार का नाम ही तो प्यार नही होता
दोस्तों की दोस्ती को भी तो प्यार कहते हैं
#सारस्वत
09102014
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