रविवार, 19 जनवरी 2014

ख़ामोशी में

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जिस हवा को 
खुश्बू से पता मिलता था आशिकी का 
आज फ़िज़ा की 
रफ्तार में गिरफ्तार है वो आशिक 
जहाँ दिन 
शुरू होता था दिवानगी का उल्फत में 
वहाँ रात 
गुजर जाती है अब अब्रे मोहब्बत में 
ढूंडा लिया 
बहाना आखिर उसने रस्ते बदलने का 
ख़ामोशी में
शोर बड़ा है उसको तन्हाई चाहिए 
#सारस्वत 
26092013

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करवटें 
बदलती रही खामोशी सारी रात 

गुजरता 
गया वक्त भी शम्मा की लौ के साथ 
नजर को 
नजर लग गई नजर के सवाल से 
ख्यालों में 
टीस बड़ी है अब तो रिहाई चाहिए 
ख़ामोशी में
शोर बड़ा है उसको तन्हाई चाहिए 
#सारस्वत

21012014

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