शुक्रवार, 28 मार्च 2014

आसरे दिल जान के

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जान गर है जान में तो , आसरे दिल जान के
दिल के तार दिलबर सुने , दुश्मन भले ही जान के

लम्बी श्याह पलकों तले , अश्कों का है समन्दर
डूब कर देखो कभी तो , गैहरी नजर तनजान के

गुंचायेदिल खो गया , पतझड़ की इस बहार में
बेज़ान सा होगया दिल , मरहूम हमको जान ने

और कब तलक बैठे रहें , यूँ आईने के सामने
दोनों तरफ हम हैं मगर , फ़ासले दिलों जान के

#सारस्वत
28032014 

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