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दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं
रोज़ लहू बहाता हूँ ... पसीने की तरहा से ...
शाम से पहले .... थक कर चूर हो जाता हूँ ....
हो जाता हूँ मुर्दा .... की शकल में ....
सांसे खींच ले जाती हैं .... खुदबखुद घर के करीब ....
तब जाकर ,
चुल्ल्हा जलता है .... धुंआँ उठता है ....
खाना नसीब होता है .... खुशियों की शकल में ....
मेरे ख़ून का कुछ मोल नहीं है ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं .
मेरे हाथ में हुनर है .... बस रेखा नही है ....
महल बनता हूँ मैं .... बुनियाद की ईंट हूँ ....
सड़कें पूल बनाये कई .... खुद को गला कर ....
जोहरी हूँ .... ]जेवर बनता हूँ ....
खुशियाँ सजाता हूँ .... दुनियाँ को दुनिया बनता हूँ ....
लेकिन ,
नायकों की भीड़ है यहाँ .... चलने का हक नहीं मुझे ....
अपने सपनों को यहां .... छूने का हक नहीं मुझे ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं .
मजदूर की मजदूरी देंगे .... सफेदपोश फुर्सत के साथ में ....
अभी मशगूल हैं साहब .... मना रहे हैं मजदूर दिवस ....
पेट की भूख का ....कोई अंदाजा नहीं जिन्हें ....
बखान वही सब करेंगे .... तालियों के साथ में ....
दौलत लुटायी जायेगी .... मजदूरों के नाम पर ....
मेरा नाम लेकर सभी .... फोटो खिंचवाएंगे ....
इसलिए ,
आज मुझे .... भूखेपेट सोना होगा ....
मैं अखबार की .... कल हैडिंग बनूगा ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं
#सारस्वत
01052014
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं
रोज़ लहू बहाता हूँ ... पसीने की तरहा से ...
शाम से पहले .... थक कर चूर हो जाता हूँ ....
हो जाता हूँ मुर्दा .... की शकल में ....
सांसे खींच ले जाती हैं .... खुदबखुद घर के करीब ....
तब जाकर ,
चुल्ल्हा जलता है .... धुंआँ उठता है ....
खाना नसीब होता है .... खुशियों की शकल में ....
मेरे ख़ून का कुछ मोल नहीं है ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं .
मेरे हाथ में हुनर है .... बस रेखा नही है ....
महल बनता हूँ मैं .... बुनियाद की ईंट हूँ ....
सड़कें पूल बनाये कई .... खुद को गला कर ....
जोहरी हूँ .... ]जेवर बनता हूँ ....
खुशियाँ सजाता हूँ .... दुनियाँ को दुनिया बनता हूँ ....
लेकिन ,
नायकों की भीड़ है यहाँ .... चलने का हक नहीं मुझे ....
अपने सपनों को यहां .... छूने का हक नहीं मुझे ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं .
मजदूर की मजदूरी देंगे .... सफेदपोश फुर्सत के साथ में ....
अभी मशगूल हैं साहब .... मना रहे हैं मजदूर दिवस ....
पेट की भूख का ....कोई अंदाजा नहीं जिन्हें ....
बखान वही सब करेंगे .... तालियों के साथ में ....
दौलत लुटायी जायेगी .... मजदूरों के नाम पर ....
मेरा नाम लेकर सभी .... फोटो खिंचवाएंगे ....
इसलिए ,
आज मुझे .... भूखेपेट सोना होगा ....
मैं अखबार की .... कल हैडिंग बनूगा ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं
#सारस्वत
01052014
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