#
प्रारब्ध में क्या लिक्खा है
भ्रमजाल में उलझ गया
प्रारब्ध में …
बाल सुलभ एहसास सखा का
लवण प्रियतम छिड़क गया
प्यार का सागर भीतर भीतर
भर छलांगे गुजर गया
प्रारब्ध में …
झुलसा झुलसा प्रेमाग्नि में
मन कस्तूरी पिघल गया
विरह के पथ पर अटका सटका
प्रेम अगन में भटक गया
प्रारब्ध में …
ऊष्मा ऊर्जा मुर्झाने लगी हैं
शोकगीत के गाने लगी हैं
बर्फ जम गई शरदऋतु सी
मन चंचलमन किधर गया
प्रारब्ध में …
#सारस्वत
18052014
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें