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नये गुर सीखे हैं , नये पेड़ सीचें हैं
आज के समाज ने , नये दम्भ सीखे हैं
नई लिक्खी है किताब , नये शब्द का रिवाज
छन्द बन्द सब नये , नये हुड़दंग सीखे हैं
नये गुर सीखे हैं …
शकल की नक़ल में , रंग ढंग अकल में
सच्च पे झूठ के , सब दावे वादे ठूंठ के
रीढ़ है ना मूँछ है , पैंदी में भी छेड़ है
खेद गऊ ग्रॉस ने यहाँ , हारी बाज़ी जीती हैं
नये गुर सीखे हैं …
ख्वाइशों की फौज है , फरमाइशों पे शोध है
उड़ गये उसूल सारे , सब हुऐ अंगरेज हैं
सुवाद की कटोरी में , ली सुबकियाँ चटोरी ने
सबर कबर में दफ़न , ईमान हुआ चोरी है
नये गुर सीखे हैं …
उड़ गई पतंग बन के , सिर की पगड़ी
चलन में बदचलन नसल , पोहोंच में तगड़ी
जहाँ की जिंदगी मौत , शुरू जिन्दगी वहीं से है
नई होड़ के समाज ने , ये रीत नई सीखी है
नये गुर सीखे हैं …
नई सोच नई बात , सच से आँखें मीची हैं
नये बीज नई फ़सल , सभी लालची में लीची हैं
तमीज की कमीज़ में , ये सलवटों का दौर है
ऊँठ की दौड़ में , अब नहीं किसीसे पीछे हैं
#सारस्वत
03052014
नये गुर सीखे हैं , नये पेड़ सीचें हैं
आज के समाज ने , नये दम्भ सीखे हैं
नई लिक्खी है किताब , नये शब्द का रिवाज
छन्द बन्द सब नये , नये हुड़दंग सीखे हैं
नये गुर सीखे हैं …
शकल की नक़ल में , रंग ढंग अकल में
सच्च पे झूठ के , सब दावे वादे ठूंठ के
रीढ़ है ना मूँछ है , पैंदी में भी छेड़ है
खेद गऊ ग्रॉस ने यहाँ , हारी बाज़ी जीती हैं
नये गुर सीखे हैं …
ख्वाइशों की फौज है , फरमाइशों पे शोध है
उड़ गये उसूल सारे , सब हुऐ अंगरेज हैं
सुवाद की कटोरी में , ली सुबकियाँ चटोरी ने
सबर कबर में दफ़न , ईमान हुआ चोरी है
नये गुर सीखे हैं …
उड़ गई पतंग बन के , सिर की पगड़ी
चलन में बदचलन नसल , पोहोंच में तगड़ी
जहाँ की जिंदगी मौत , शुरू जिन्दगी वहीं से है
नई होड़ के समाज ने , ये रीत नई सीखी है
नये गुर सीखे हैं …
नई सोच नई बात , सच से आँखें मीची हैं
नये बीज नई फ़सल , सभी लालची में लीची हैं
तमीज की कमीज़ में , ये सलवटों का दौर है
ऊँठ की दौड़ में , अब नहीं किसीसे पीछे हैं
#सारस्वत
03052014
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