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मैं ये सोच के बैठा था , ये पूछूंगा जब मिलूंगा
लेकिन , यूँ मिले अचानक से
न वो बोले न हम बोले
*
निगाहें मिली मुस्कुराये , कदम हिले करीब आये
हुऐ मशगूल रिवाजों में , इस कदर
न वो बोले न हम बोले
*
हाथ पकड़ कर हाथ में , खड़े थे आपने सामने
दिलों में इतनी थी दूरियाँ , के
न वो बोले न हम बोले
#सारस्वत
09042014
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