खिड़कियाँ ... बंद खोल दो ... सदा के लिए
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खिड़कियाँ ... बंद खोल दो सदा के लिए
आने दो ... हवा खुली साथ लाने के लिए
खिड़कियाँ ... बंद खोल दो ...
सदा के लिए
दर्द का इलाज ... दर्द नहीं होता कभी भी
समंदर तो होते ही हैं ... डूब जाने के लिए
खिड़कियाँ ... बंद खोल दो
... सदा के लिए
ख्वाइशों को ... हक़ीक़त का ज़ामा पहना
ख्याल तो ... होते ही हैं आज़माने के लिए
खिड़कियाँ ... बंद खोल दो ...
सदा के लिए
उठो-चलो ... मजबूती से हौसले के साथ में
सुबहा ... आने को है नई रौशनी के लिए
खिड़कियाँ ...बंद खोल दो ...
सदा के लिए
#सारस्वत
03052014
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