गुरुवार, 5 जून 2014

" पर्यावरण -:- दिवस -:- विशेष "


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जल से खेल रहा है मानव
पल से खेल रहा है मानव 
धन लिप्सा में दानव मानव
कल से खेल रहा है मानव
जल से ....
मौसम ने हुंकार भरी है
कुदरत की ये मार बड़ी है
हरियाली पे थोक के पत्थर
छल से खेल रहा है मानव
जल से ....
नही देख रहा सुखी जल धरा
काट काठ किया बंजर सारा
प्यासी धरती बिलख रही है
तल से खेल रहा है मानव
जल से ....
जन गण मन से आवाहन है
जल जीवन का सम्बोधन है
जल जीवन का प्राणाहल है
हल से खेल रहा है मानव
जल से ....
#सारस्वत
20 06 2010

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