रविवार, 3 अगस्त 2014

साबुत दोस्ती के साथ

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मानता हूँ के  …
नवाब बन गया है तू ,
लोगो के लिए …
ख़ास बन गया है तू ,
जीने का अंदाज़ …
बन गया है तू ,
सचमुच !!
लाजवाब बन गया है तू  .
पर ,
मेरे लिए तो …
आज भी वही है तू ,
मुझे ,
कोई फर्क नही पड़ता …
अब ,
क्या से क्या बन गया है तू  .
ना !! ना !!
अपना ये रॉब …
कंही और दिखाना …
 और ,
यहाँ ! आना हो तो …
आगे से …
बिना लावालशकर के आना  .
जिन्हें ,
तेरे इस कद से …
कुछ लेना देना हो …
इनको वहां लेकर जाना  .
अरे !!
मुझे तेरी दुआ नहीं …
तू चाहिए …
वही !
यारी  …
जान से प्यारी के साथ
वो भी !!
बिना मिलावट के …
"साबुत दोस्ती के साथ"
#सारस्वत
03082014

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