सोमवार, 29 सितंबर 2014

आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद
















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सुनो सुनो
सुनो सुनो जरूरी ऐलान
ध्यान लगाना खोल कर कान
फिर मत कहना समझदारो
लूट ले गया कोई ज्ञान
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद

यहाँ हसी उड़ा रहे हिन्दू  … …हिन्दू की
मजाक बना रहे चन्दू-नन्दू  .. हिन्दू की
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद

रोज चुटकुले नये बनाते , हस कर फिर सबको हैं सुनाते
देवी देवताओं के उपर हिन्दू , उलटे सीधे किस्से बनाते
टैग करने वाले भी हिन्दू है ,
शेयर करने वाले भी हिन्दू
संस्कारों का दावेदार 'यहाँ , धज्जी उड़ा रहा हिंदुत्व की
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद

हिन्दू को फुर्सत नहीं जरा भी , अच्छा बुरा समझने की
ये समझदार बड़ा हो गया , कमियाँ ढूंढे अब अपनों की
हिन्दू गंगा गौ गायत्री को भुला ,
बीमारी लगी सैकुलर का झूला झुला
सनातन धर्मी कब्र खोद रहे , झण्डे-बरदार हिन्दू की
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद
आनंद ही आन्नद है , आनंद ही आन्नद
#सारस्वत
29092014


शनिवार, 20 सितंबर 2014

जीवन रक्षक जीवनदाता












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बून्द बून्द पानी की
बून्द बून्द लहू का
जीवन रक्षक जीवनदाता
भाग्य का भाग्य विधाता
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काम किसी के आवो
प्यासे को पानी पिलावो
बून्द बून्द गागर को भरदे
पानी ना व्यर्थ गवावो
बून्द बून्द पानी की
बून्द बून्द लहू का
जीवन रक्षक जीवनदाता
भाग्य का भाग्य विधाता
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खून की कीमत जानो
जान की जान बचावो
बून्द बून्द का दान करो
तो महादानी कहलावो
बून्द बून्द पानी की
बून्द बून्द लहू का
जीवन रक्षक जीवनदाता
भाग्य का भाग्य विधाता
#सारस्वत
20092014


रविवार, 14 सितंबर 2014

हिंदी की प्रगति में










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मातृभाषा के तिलक से 'हिंदी, मात्र भाषा हो गई
निज भाषा उन्नति अहै के ,शब्द सार्थक हो गऐ
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आकांक्षा अभिलाषा का , इच्छा दान कर दिया
ज्ञान के समर्थक विदूषक , मूड धन्य हो गऐ
निज भाषा उन्नति अहै के  ...
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लालच लिप्सा से सरल ,आसान भूमि से ज़मीन
अर्थ के सब अर्थ बदले , वित्त समर्थक हो गये
निज भाषा उन्नति अहै के  ...
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हिंदी की प्रगति में , चन्द्र सुर्य भी चाँद सुरज हुऐ
अग्नि आग - रात्रि रात ,लब्ज़ शब्द सार्थक हो गऐ
निज भाषा उन्नति अहै के  ...
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भाषाई विवाद में सिकुड़ी हिंदी सिमट के रह गई
प्रगति की राह के राही , घटक परिवर्तक हो गऐ
निज भाषा उन्नति अहै के  ...
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पंजाब सिंधु गुजरात मराठा द्रविड़ उत्क्ल बंग
हिंदी विरोधी भाषा-भाषी , क्षेत्रप मस्तक हो गए
निज भाषा उन्नति अहै के  ...
#सारस्वत
14092014 

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

आओ दिलों के बीच से दीवारें गिरायेंगे

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आओ दिलों के बीच से दीवारें गिरायेंगे
आओ आज फांसलों के फैंसले मिटायेंगे
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मुस्कुराकर मुस्कराहट का स्वागत करो
मुरझाये हुए रिश्ते फिरसे तर हो जायेंगे
आओ दिलों के बीच से  ...
मरते हुए रिश्तों के लिए कभी रो कर देखो
घायल हुए रिश्तों के भी जख्म भर जायेंगे
आओ दिलों के बीच से  ...
मुश्किलों का डट कर मुकाबला किया करो
बिगड़े हुए हालात हौसलों से सुधर जायेंगे
आओ दिलों के बीच से  ...
गफलती से कैहदो दूर होजाओ नजरों से
खुशियों के भाग खुद बखुद जाग जायेंगे
आओ दिलों के बीच से  ...
मायूसियों से हमारा तुम्हारा क्या वास्ता
लगाकर गले ख्वाईश को सबको जगायेंगे
आओ दिलों के बीच से  ...
#सारस्वत
11092014