शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

किस तरहा से समझाऊं


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किस तरहा से समझाऊं मैं तुझ को
तू समझता नहीं जान निकल जाती है
*
तू ना आयें तो पथरा जाती हैं आँखे
आ जायें तो धड़कन रुक रुक जाती है
*
ख्याल बादशाही और ये दिल दीवाना  
एतबार की राहें वफ़ा पर ठहर जाती हैं
*
रोज बहाने बनाते क्या तू थकता नहीं
तेरे बहानों से तो रात भी थक जाती है
*
वादो पे जी रहे हम ये भी ख्याल रखना
इन्जार करते करते उम्र बीत जाती है

#सारस्वत
25092014 

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