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किस तरहा से समझाऊं मैं तुझ को
तू समझता नहीं जान निकल जाती है
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तू ना आयें तो पथरा जाती हैं आँखे
आ जायें तो धड़कन रुक रुक जाती है
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ख्याल बादशाही और ये दिल दीवाना
एतबार की राहें वफ़ा पर ठहर जाती हैं
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रोज बहाने बनाते क्या तू थकता नहीं
तेरे बहानों से तो रात भी थक जाती है
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वादो पे जी रहे हम ये भी ख्याल रखना
इन्जार करते करते उम्र बीत जाती है
#सारस्वत
25092014
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