शनिवार, 1 नवंबर 2014

जल्दी के साथ में
















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वक्त के लिये आज
मेरे पास वक्त नहीं है 'के,
बैठूं दो घडी वक्त के पास में
कल वक्त के पास में
मेरे लिए वक्त नहीं होगा
फूँक देगा जब मुझे
वक्त का गुलाम जल्दी के साथ में
खुद को पता नहीं
कितना चल पाऊँगा कदमों के साथ में
मालूम नहीं मुझे
कहाँ तक जाउँगा वक्त के साथ में
बस दौड़ा जा रहा हूँ
बेमकसद सा मकसद की तलाश में
भाग रहा हूँ मतलब सा
इतिहास लिखने की चाह के साथ में
ख्वाइशों की
पोटली बांध रक्खी है पास में
पल भर का पता नहीं
और सोचता हूँ वक्त गुलाम है मेरा
जबकि जनता हूँ
फूँक देगा मुझे
वक्त का गुलाम जल्दी के साथ में
#सारस्वत
14102014

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