गुरुवार, 1 जनवरी 2015

नया साल आया था , एक ही रात में









#
आँख खुली  ...
सामने नया साल खड़ा था
नये दिन , सुरज के साथ में ...
मैं भी मुस्कुराया  , बच्चो की तरहा और ,
बधाई दी  ... इसी ख़ुशी के साथ में ,
नया साल आ गया , एक ही रात में
१-
अब मैं सोचने लगा
मन आत्ममंथन करने लगा
दुनियाँ बदल गई होगी
नज़ारा बदल गया होगा
सुरज भी शर्तिया !!!
आज पश्चिम से उगा होगा  ...
चाँद से खुल कर इश्क लड़ाया होगा
तू सोता रहा नालायक !!!
छोड़ दी तूने ब्रेकिंग न्यूज़ , आलस के साथ में
नया साल आ गया , एक ही रात में
२-
जमाने से पिछड़ चूका हूँ , अब एहसास जाग चुका था
लेकिन ,
कितना आगे है  ... मुझसे पड़ोसी मेरा ...
ये जानना अब  ... जरूरी हो चूका था
स्थिति विकट थी  … बेचैनी समक्ष थी  …
संकट की ऐसी घडी में  ... मन !!!
सलाहकार बन कर प्रकट हुआ  ...
बोला  …
देख तो जरा  … खिड़की खोल तो जरा  …
पता तो कर ...
कैसे , दुश्मन जमाना हो गया ,  एक ही रात में
नया साल आ गया , एक ही रात में
३-
पहले खुद को कोसा  … बेबसी के साथ में  ...
फिर दरवाजा खोला  … इस उम्मीद के साथ में  ...
कुछ न बदला हो  … 'भगवान' चांद रात में  ...
देख कर  …
भक्क से   'आँखे, खुली की खुली रह गई  …
सामने उम्मीदें खड़ी थी  ... फटेहाल !!!
 कल की तरहा से ही  …
कुछ भी तो ना बदला था  …
नये साल , नये दिन के साथ में  …
नया साल आ गया , एक ही रात में
४-
इतने में  …
हवा का एक  … फालतू सा झोंका , हस्ता हुआ आया  …
चुम्बन लिया मोहब्बत का  उसने  … नई रौशनी के साथ में
खिलखिलाया और दाँत फाड़कर बोला
रोज सुबहा बदलती थी शाम में  … दिन बदलता था रात में …
और  … रात फिर दिन के साथ में  …
यही हुआ है आज भी  … कुछ नया नहीं हुआ
हाँ !!!
आज  … कलण्डर बदला है  … तेरे घर की दिवार का  …
हालत वही है  … घर गली शहर  …  खासोआम का ...
और मैं इस सोच में डूब गया  …
आज मैं  ... कुछ और भी मांगता तो  …
शायद  ... वो भी सच हो जाना था  ...आज रात में …
नया साल आया था , एक ही रात में
नया साल आया था  ...
एक ही रात में  ...
#सारस्वत
01012014 

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