शनिवार, 11 अप्रैल 2015

शायद …


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पढ़े लिखे सभ्रांत समाज के
उच्चकोटि के ढाबे [होटल] का बैरा
देवता स्वरूप ग्राहक की गाली सुनने के बाद भी
माथे पर शिकन नहीं लाता है मुस्कुराता रहता है
शायद  ...
सहन शक्ति गज़ब की दिखाता है
इसीलिये परितोषण भी पा जाता है
लेकिन  …
सड़क के किनारे उगे दुबघांस की तरहा
बेढंगे ढाबो की बात अलग है
यहां पर अगर  ...
छोटू को भी गाली दे दी किसी ने
तो फिर  ...
न्यूटन का तीसरा नियम दिखाई देगा
बिलकुल स्पष्ट परिभाषित होता हुआ
एक तरफ़  ...
सभ्रांत समाज का बैरा
टिप के बोद्धि वृक्ष से प्राप्त
ज्ञान का अनुसरण करता है
ग्राहक की हर एक बात को
मुस्कुराहट के जल में प्रवाहित करता है
फिर भी वह न बुद्ध बन पाता है
ना बुद्ध का अनुयायी बन पाता है
दूसरी तरफ़  ...
चलती सड़क के किनारे का छोटू ढाबे वाला
आत्मसम्मान के साथ में स्वभाविक जीवन जीता है
और न्यूटन बन जाता है
शायद  … गैरत इसी का नाम है
ज़मीर की जमीन बंजर करके शहर सफेदपोश होगया है
कामयाबी का मूलमंत्र आज चापलूसी हो गया है
शायद  … इसी चुप्पी को कहते सब विद्वान हैं
मेरा भारत महान है
#सारस्वत
11042015

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