मंगलवार, 30 जून 2015

जुदाई के बंदझरोखे से

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जुदाई में भी हम कहाँ    जुदाई देखते हैं
हम यादों के सफ़र में   तुझको देखते हैं
जुदाई में भी हम कहाँ ...

वफ़ा के नाम पर      जला कर के कंदील
उम्मीदों भरी सुबहा की     हम राह देखते हैं
जुदाई में भी हम कहाँ ...

दिल ने वादा किया है      चलो निभाएंगें
उठ कर बैठो     बंदझरोखों में क़रार देखते हैं
जुदाई में भी हम कहाँ ...

ऐहसास के लिये      विश्वाश का होना जरूरी है
बेयक़ीनी से लोग हैं     यक़ीन में यक़ीन देखते हैं
जुदाई में भी हम कहाँ ...

दावे कहते हैं     दुनियां की परवाह नहीं जरा
और धड़कते दिल में    खुद ही फ़र्के जुबाँ देखते हैं
#सारस्वत
30062015

पांच तत्वों की निर्जीव देह


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मत पूछ बाद मुक्ति के मन मुक्त तन किधर जायेगा 
पांच तत्वों की निर्जीव देह को पुनः पंचतत्व मिल जायेगा 

सनातनी के प्रारब्ध में शुभ होती है शमशान की यात्रा 
म्रत शरीर पूर्णाहुति स्वरूप अग्नि को समर्पित हो जायेगा 

मृत्यु लोक में जीवन सुधा की संध्या आरती है मोक्ष 
नश्वर आत्मा को प्राण प्रिय नव तन पर्ण मिल जायेगा  

प्रथम चरित्र की समीक्षा तदेन कर्मों की गणना होगी 
क्रमानुसार अंकुरित जीव को नवजीवन उपलब्ध हो जायेगा 

जीवनचक्र विखंडन सृजन की परिक्रमा का ही नाम है 
जन्मोंजन्म श्रंखलाबद्ध अनुबंदित शुद्धकमल खिल जायेगा    
सादर वंदन
#सारस्वत 
24062015

सोमवार, 29 जून 2015

ये मृत्यु लोक है


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सजीव जीव जीवंत सर्वश्रेष्ठम 
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जन्म के साथ ही मृत्यु भी निश्चित है 
ये मृत्यु लोक है यही शाश्वत है सत्य है 
ये मृत्यु लोक है  … 
जन्म से मृत्यु के सफर का नाम है जीवन 
प्रत्येक जीव की कहानी का यही सत्य है 
ये मृत्यु लोक है  … 
जीव में जीवित जीव संजीवन है आत्मा 
मृत्यु का आलिंगन तो अंतिम सत्य है 
ये मृत्यु लोक है  … 
आत्मा का पुनर्जन्म मृत्यु का मोक्ष है 
काया की माया का दिविज़ ही सत्य है 
ये मृत्यु लोक है  … 
आगम निगम संगम विखंडन प्रदक्षणा 
कृत्य अणु परमाणु का प्रमाणिक सत्य है 
ये मृत्यु लोक है  … 
आत्माविहीन दुब है भस्मि रूप शव 
जन्म जीवन मृत्यु अटल सत्य है
ये मृत्यु लोक है  … 
सादर वंदन
#सारस्वत 
29062015 

माया शक्ति स्वरूपा है



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ब्रह्म सत्यम जगत्‌ मिथ्यम

माया शक्ति स्वरूपा है श्रेष्ठ है
माया जाग्रत अवस्था का स्वप्न है
जीवन एक पर्दा है कठपूतली खेल का 
मानव खिलौना बुद्धि के जाल में कैद है
किर्या की किर्या काया की प्रतिकिर्या है  
संज्ञा की संज्ञा महामाई माया की जाया है 
माया के प्रीत द्वेष अंकुरित पुष्प होते हैं 
माया त्रिया से पुष्प सुगंध गतिशील होते हैं 
मृत्युलोक में माया का तेज अविद्या है
माया का अर्थ शक शंका और चतुराई है
माया की शक्ति है स्वार्थ की धूर्तचाल 
माया की माया में विलक्षण जादूगरी है
माया पारद है विशारद है सबरंगी पदार्थ है 
रूप के विपरीत रूप दिखाने में शक्षम है 
भ्रम के रूप में कभी मतिभ्रम की धुप में 
माया का अभाव मिथ्या है भाव व्यापक है
शक्ति से विलग शिव भी शव के समान है
शिवशक्ति ऊर्जा का चतुर्भुजी स्वरूप है  
यही ध्यान के ज्ञान का विज्ञानं है 
जीवन के लिये अमृत समान है
सादर वंदन
#सारस्वत
25062015 

मंगलवार, 23 जून 2015

उप्पर वाला देख रहा



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क्या कर रहा तू  … किस से छुपा कर 
उस से छुपा ना  … कुछ भी तेरा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
दुष्कर्मों की देगा  … वो निश्चित सजा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
काम क्रोध की ज्वाला  … दिल से तू निकल दे 
काम नहीं आएगा  … ये छलना तेरा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
किस काम के लालच में  … दुनियां को ठग रहा 
बोल लोभ के नरक से   … बाकि बचा क्या तेरा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
रिश्ते नाते झूठे सारे   … मोह माया का जाल 
छोड़ दे ख्याल   …  ये जग ना तेरा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
खाली हाथ आया तू   …  जायेगा खाली हाथ
धरा रह जायेगा  …  यहीं सब कुछ तेरा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
अब तो कुछ विचार ले   …  कर्मों को सुधार ले 
जीवन को सवाँर ले   …  है कल ना तेरा 
उप्पर वाला देख रहा  … 
सद्गुण तेरे परख रहा 
 #सारस्वत 
22062015

शनिवार, 20 जून 2015

नमो नारायण सूरज













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वही दिशा है पूरब
जिधर उगेगा सूरज
अंधकार को दूर भगाते
नमो नारायण सूरज

सुर्य प्रणाम करो प्रातः काल में प्यारे
निरोगी काया मिलेगा व्ययाम करो सारे
उच्चस्वर में करना ॐ का उच्चारण
तनाव का मुक्ति मंत्र प्रयोग करो सारे
सत्य के अनुयायी सत्य प्रकाशी सूरज
अंधकार को दूर भगाते
नमो नारायण सूरज
योग से तो हो जाता है रोगी का उपचार
शरीर होगा स्वस्थ होगा ऊर्जा का संचार
सूर्योदय को किया करो करबद्ध प्रणाम
जीवन है बहुमूल्य मत करो सोच विचार
सात रंगों के ग्राहता स्वेत पुंज के सूरज
अंधकार को दूर भगाते
नमो नारायण सूरज
#सारस्वत
20062015

मंगलवार, 9 जून 2015

प्यार का पैहला अक्षर …


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प्यार का पैहला अक्षर …  प्यार के बिना रहता अधुरा है
सिर्फ दो कदम साथ में …  चलने से नहीं होता पूरा है

इश्क़ अल्फाज़ नही है … निखलिश चाहत की तरहा
इश्क तो एहसास है … जिस्म में गैहरी रूह की तरहा
मोहब्बत सी पाकीज़ा  … कोई दूसरी नहीं है दुनिया में
सम्भाला है दीवाने को भी  … इश्क़ की पाक इबादत ने
प्यार क़िस्सा कहानी नहीं … प्यार तो हसरतों का है ज़ख़ीरा  
प्यार में चैन को चैन नहीं  … मिलता है उम्मीद का सवेरा
सिर्फ दो कदम साथ में …  चलने से नहीं होता पूरा है
प्यार का पैहला अक्षर …
बस इतना जान लो तुम  … किसी को चाहने से पैहले
चाहत की कश्ती में  … साथ तबियत के सफर से पैहले
जीने की चाहत रखना  … तुम मरने की ख्वाइश से पैहले
प्यार के परिंदे इश्क का घरोंदा  … दिल में बनाने से पैहले
मोहब्बत की आरजू करना  … आबरू रखना मोहब्बत से पैहले
और मंजिल की दुआ करना  … हर एक दुआ करने से पैहले
सिर्फ दो कदम साथ में …  चलने से नहीं होता पूरा है
प्यार का पैहला अक्षर …
#सारस्वत
18102013

शुक्रवार, 5 जून 2015

धरा पे फिर बहार हो

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वृक्ष हों घने घने  , छाँव से सने सने
स्वप्न है साकार हो , धरा पे फिर बहार हो

फूल हों खिले खिले , हों बेलपत्र हरे भरे
लता पे भी निखार हो , धरा पे फिर बहार हो

पवन चले झूमती , कलियों को चूमती
भवरों में खुमार हो , धरा पे फिर बहार हो

ओस की बून्द हो ,  अधखुली सी नींद हो
आस की उम्मीद हो , धरा पे फिर बहार हो

चिड़ियों का हो आगमन , चहकता हो ये चमन
खिलती हुई फुहार हो , धरा पे फिर बहार हो

जल तरंग संग चले , निश्चल सरल बह चले
नदी का तट समग्र हो , धरा पे फिर बहार हो
#सारस्वत
05062015


बुधवार, 3 जून 2015

नक़ाब में रक्खा क्या है












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नवाब के इस रुआब में रक्खा क्या है
लगा तो हिसाब नक़ाब में रक्खा क्या है

खुद के खुद में होने खोने का ढूंढ ले सबूत
देख तो  …  ज़िल्द लगी क़िताब में रक्खा क्या है
लगा तो हिसाब नक़ाब में  …
मिल जाये अगर तुझे कंही गुमशुदा सुकून
बता देना  …  मुझे भी छुपाव में रक्खा क्या है
लगा तो हिसाब नक़ाब में  …
मैंने पूछा आईने से क्यों पहचानता नहीं मुझे
उसने पूछा  … मुस्कुराके बता तुझमें रक्खा क्या है
लगा तो हिसाब नक़ाब में  …
हैं आप सब साथ हैं तो है फिर मेरा भी वज़ूद
वरना  … कलम के इस रिसाव में रक्खा क्या है
लगा तो हिसाब नक़ाब में  …
 #सारस्वत
03062015