#
कभी धडकन को छुआ ख़ामोशी ने लिपटे के
तो कभी धडकन ने सुना सूनेपन को सिमट के
कभी गहरे उतरे यादों के समन्दर में नहाने
तो बैठ गये कुये के कुये रिश्ते हुए रिश्तों के
कभी धडकन को छुआ ...
कभी पैबंद लगी बातों का चला रतजगा सा
तो कभी टाट के झोंके दस्तक देते ख्वाबों के
कभी धडकन को छुआ ...
कभी दरिया जा ठहरा नाजुक की आँखों में
तो कभी बारिश बेमौसम झीलों में पलकों के
कभी धडकन को छुआ ...
#सारस्वत
02 06 2013
कभी धडकन को छुआ ख़ामोशी ने लिपटे के
तो कभी धडकन ने सुना सूनेपन को सिमट के
कभी गहरे उतरे यादों के समन्दर में नहाने
तो बैठ गये कुये के कुये रिश्ते हुए रिश्तों के
कभी धडकन को छुआ ...
कभी पैबंद लगी बातों का चला रतजगा सा
तो कभी टाट के झोंके दस्तक देते ख्वाबों के
कभी धडकन को छुआ ...
कभी दरिया जा ठहरा नाजुक की आँखों में
तो कभी बारिश बेमौसम झीलों में पलकों के
कभी धडकन को छुआ ...
#सारस्वत
02 06 2013
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें