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हाथों की लकीरों में , ना ढूंढा कर मुझे
बंद मुट्ठी में मिलता हूँ , हौसला कहते हैं मुझे
मुझसे ना पूछा कर , दुनियादारी का सबक़
ईमानदारी रक्खा कर , समझदारी कहते हैं मुझे
मैंने देखा आईने में , सूरत के अलावा कुछ ना था
तूने किसको देखा बता , ज़मीर कहते हैं मुझे
मना करने पर भी तूने , फ़रेब से दोस्ती कर ली
दाग़ अपने तक रखना , दामन कहते हैं मुझे
वादे ना किया कर , इंतजार को गुलामी कहते हैं
इरादे किया कर , वफा का एतबार कहते हैं मुझे
शक़ की गुंजाईश हो कहीं तो , रुखसती ले लेना
रिश्तों की ईबादत हूँ , यक़ीन कहते हैं मुझे
पुरखों ने कमाया है जिसे , मैं वो दौलत हूँ
सम्भाल कर रखना , इज़्ज़त कहते हैं मुझे
#सारस्वत
14122015
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