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अगर
वक्त हो पास में तुम्हारे तो ,
बैठो जरा पास मेरे
घडी दो घडी का मेहमान हूँ
चला जाउंगा फिर , तुम्हारे दरवाज़े से
यादों में बस जाने से पैहले
मुझे भी जीना है , जी लेने दो पल दो पल
तुम्हारे साथ में
मेरी भी बहुत सी मीठी यादें हैं
होली पे भांग संग हमने खाई थी
दीवाली रौशनी करके मनाई थी
फिर खुशियों में वो आग लगी
दुश्मनी गॉव तलक जा पहुंची
रिश्ते सारे दंगों के नाम हो गए
मजहबी राजनीती के सब हवाले हो गये
मिटटी की खुशबु में जहर घुल गया
नफरत के बीज सियासत बो गई
अगर
संवेदनाये ख़त्म ना हुई अभी भी
तो फिर किसी के जाने के गम में
अब रोते क्यों नहीं है यहां के लोग
प्यार मोहब्बत को भुलाकर
नफ़रत को क्यों सीने से लगा रहे हैं लोग
मुझे अब जाना होगा
मैं जा रहा हूँ हमेशा के लिए
समय ख़त्म होने को है
नवअंकुर आने को है
लेकिन
अपनी गलतियों के लिए कभी भी
मुझको बदनाम मत करना
आने वाले कल के लिए
दो पल सोचना दुआ करना
तुम्हारे साथ गुजरे दिन
हमेशा याद रहेंगे मुझे
जब चाहो आवाज देकर बुलाना
तुम्हारी ही यादों का जखीरा
साथ लेकर आ जाऊंगा
तुम्हारे दरवाजे
तुम्हारा अपना
"गुजरता हुआ साल "
अलविदा दोस्तो
#सारस्वत
312013
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