गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

आओ कुछ देर बात करते हैं ...

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आओ आज कुछ देर खुद के साथ बैठते हैं
इस वर्ष किया क्या हमने बात करते हैं
आओ आज कुछ देर  ...
जो वादे किये थे उन वादो का क्या किया
जो दावा किया था उस दावे का क्या हुआ
ख्वाईश बतला रहे थे क्या वो पूरी हो गई
वो फरमाइशें लम्बी चौड़ी कहां तक पूरी हुई
कुछ सपने बुने थे बताओ ना क्या हुआ
कुछ ख्याली पुलाव बताओ ना क्या हुआ
रंग भरी जिंदगी में तमन्नाओं के साथ
अब भी जागते हो क्या सारी सारी रात
जो उम्मीदों की बैसाखी पर टिके थे इरादे
कुछ तो बताओ यूँ चुप ना बैठो शहज़ादे
उठा पटक तो चलती रहती है जिंदगी में
दिल खोल कर बताओ सभी की जाँच करते हैं
आओ आज कुछ देर  ...
 कल वादो का दिन है जी भर कर वादे करना
नई उम्मीदें आशाओं भरी नये ख्वाइशें करना
वादे मत करना खुद से भी पूरे ना कर पाओ अगर
कारण कुछ भी रहा हो मत लगाओ कोई अगर मगर
चलना हौसलों को साथ लेकर  नये इरादो के साथ
मंजिलें और भी हैं दुनियां में इसी विश्वास के साथ
बहुत उड़ चुके हो तुम अबके ज़मीन पर उतर आना
घर परिवार के साथ बुनियाद के साथ जुड़ जाना
मानता हूँ जाओगे तुम नये वर्ष में हमेशा की तरहा
लेकिन वर्तमान की ऊगली पकड़ कर हमेशा की तरहा
परेशान मत होना चला जायेगा ये भी साल इसी साल
किसने रोका है दिल खोल कर तुम घोषणाऐं करना
वक़्त हो चला है अब विदाई का शुभकामनायें करते हैं
आओ आज कुछ देर  ...
#सारस्वत
31122015 

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