गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

तुम मुझे भगत कहकर नकार सकते हो












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चलो मान लिया मैंने वो देशद्रोही नहीं हैं
और आपसे बड़ा देशभक्त नहीं हूँ मैं
जिससे तुम्हें सबसे ज्यादा नफरत है
उस वन्देमातरम के चश्मे से देख रहा हूँ
तुम मुझे भगत कहकर नकार सकते हो
चाहो तो खिल्ली भी उड़ा सकते हो
लेकिन जरा रुको  ...
कहीं ऐसा तो नहीं   ...
भगत के विरोध के विरोध में  तुम
सीमारेखा पार चार रन लेने निकल गये हों
मेरा विरोध करते करते ;ज़नाब ,
गद्दारों के सुर तुम्हारे स्वर हो गयें हैं
देखिये देखिये अपने अंदर झांक कर देखिये
साथ में अपने कदमों के निचे भी देखिये
ज़मीन खिसक तो नहीं गई
बिलबिलाईये नहीं तिल्मिलाइये नहीं  ...
तर्क आपके पास भी हैं मेरे पास भी
सतर्क आप भी हैं मैं भी
सवाल आखिर आपके अस्तित्व का है
विरोध करना आपका राजनैतिक धर्म है
यही काबिल सियासतदान का कर्म है
पारंगत हो तुम मानता हूँ
लेकिन किन्तु परन्तु  , फिर भी  ...
आप कितने सही है ये आपको पता है हुज़ूर
मानिये ना मानिये मगर सोचिये जरूर
विरोध तक तो ठीक था मगर  ...
आप नफ़रत की आग में जलने लगे हैं
जलने वाला अक्सर गलती कर बैठता है
पतंगे को संभालकर नहीं रख पाता है
आपका ध्यान किधर है
विचारधारा से शुरू होकर
व्यक्तिविरोध का समर्थन करते करते
देश और समाज के विरोधियों के पक्ष में
आप कब जा बैठे
आपको अभी तक भी पता नहीं चला
सब कुछ विरोध के विरोध में  ... !!!!
किसके विरोध में
किसके समर्थक हो गये हजुर !!!!
तुम्हारी सोच पर आश्चर्य हो रहा है  ...
आपको  ... कुछ पता भी है  ... ???
आपकी जमीन खिसक रही है  ....
फिर भी आप मुंह उठाये चले जा रहे हैं
ये तक नहीं पता चले कहाँ जा रहे हैं
ज़रा टटोल कर देखिये खुद को  ... अकेले में
आत्मा खिसक कर नरक में गिरती  हुई मिलेगी
#सारस्वत
24022016 

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