रविवार, 7 फ़रवरी 2016













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पलट कर देख कभी 'ज़िन्दगी, किताब ही तो है
किसी हिस्से में ज़िक्र मेरा किसी में तू भी तो है
पलट कर देख  ...
कहानियाँ लिख चुका है तू भी यहां मेरे साथ में
मेरे किस्सो में एक किरदार यहां पर तू भी तो है
पलट कर देख  ...
तमन्नाई रंग बिखरे हों चारो तरफ़ ऐसा नहीं है
कश्मकश लिये आरज़ू और सवालात भी तो हैं
पलट कर देख  ...
फ़ुरसत मिले तो पढ़ना कभी आँख के आंसूं
बिखरे हुए लाज़वाब मोती एहसास ही तो हैं
पलट कर देख  ...
प्यास अभी बाकि है ज़िंदगानी के समन्दर में
तलाश ले प्यार लहरों के पार तलाश ही तो है
पलट कर देख  ...
शब्दों को शब्द मिलते नहीं थे जब वक्त पर
अब दर्ज़ हैं सब यहां ज़िन्दगी किताब ही तो है
पलट कर देख  ...
#सारस्वत
06022016 

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