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इस बार फिर से मुझ 'को, भूल गए मेरे दोस्त
मिल गया शायद 'उन्हें, कोई हुनरमंद दोस्त
उनकी कोई खता नहीं , अपनी क़िस्मत ही ऐसी है
सपने दिखाने वाले 'अक़्सर , निकल जाते हैं मेरे दोस्त
ऐसा नहीं है के अब 'किसी, से बात नहीं होती अपनी
हर कोई मिलता है 'यहां पर, मतलब से मेरे दोस्त
छुओ आसमान की बुलंदी को , ये दुआ है मेरी
ज़मीन से दोस्ती थी 'कभी, भूलना नहीं मेरे दोस्त
#सारस्वत
31032016
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