कुदरत के हैं खेल निराले , तू भी मैं भी उसमें
धरतीअंबर बिजलीबादल , चाँद सितारे उसमें
कुदरत के हैं खेल निराले ...
मिले फ़ुर्सत तो सोचना , किसने दुनिया बनाई
मिटटी का पुतला घड़के , जान फूंक दी उसने
कुदरत के हैं खेल निराले ...
अरमानों की नौका में दी ,उम्मीदों की पतवार
हिम्मत घी शक़्कर वाली , दिया हौसला उसने
कुदरत के हैं खेल निराले ...
कंकर में शंकर के दर्शन , कर लो दुनियां वालो
सांसे डाली गिनती करके , भर कर चाबी उसने
कुदरत के हैं खेल निराले ...
#सारस्वत
14052016
धरतीअंबर बिजलीबादल , चाँद सितारे उसमें
कुदरत के हैं खेल निराले ...
मिले फ़ुर्सत तो सोचना , किसने दुनिया बनाई
मिटटी का पुतला घड़के , जान फूंक दी उसने
कुदरत के हैं खेल निराले ...
अरमानों की नौका में दी ,उम्मीदों की पतवार
हिम्मत घी शक़्कर वाली , दिया हौसला उसने
कुदरत के हैं खेल निराले ...
कंकर में शंकर के दर्शन , कर लो दुनियां वालो
सांसे डाली गिनती करके , भर कर चाबी उसने
कुदरत के हैं खेल निराले ...
#सारस्वत
14052016
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