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अर्ज़ी भी तेरी ' यहां ,मुकद्दमा भी तेरा
गवाही भी तेरी ' और , फैंसला भी तेरा
मरना गर है किसीका , तो चाहत का है
शिद्दत से जिस को चाहा , है इस दिल ने
निकला है आख़िर ... , वो दिल भी तेरा
जिस भी तरहा से कहे .... तुझ से दिल
कर निकाल बाहर ... दिलबर दिल से दिल ,
मुकद्दर का वहां ... उठने वाला कुछ नहीं है
जहाँ ... मर्ज़ी भी तेरी ' और , दिल भी तेरा
मुझको पता नहीं है , अलिफ़ बे कुछ भी
इल्मे मोहब्बत के , रिवाजों के बारे में ,
तू ही बता करके इशारा जो कुछ तुझे पता
यहां,मैं भी तेरा ' और , मेरा दिल भी तेरा
दुनियां की परवाह किसे है , ज़रा मुझको बता तू आज
परवाह दुनियां की दुनियां को नहीं , क्या तुझको नहीं पता
जहाँ तलक निभ सके निभा , दस्तूर यही कहता है
फिर दिल गैर थोड़े ही है ' ये , दिल भी तेरा
#सारस्वत
0802016
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