मंगलवार, 9 अगस्त 2016

शिद्दत से जिस को चाहा ...

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अर्ज़ी भी तेरी ' यहां ,मुकद्दमा भी तेरा 
गवाही भी तेरी ' और , फैंसला भी तेरा 
मरना गर है किसीका , तो चाहत का है 
शिद्दत से जिस को चाहा , है इस दिल ने 
निकला है आख़िर ... , वो दिल भी तेरा 

जिस भी तरहा से कहे   .... तुझ से  दिल 
कर निकाल बाहर  ... दिलबर दिल से दिल , 
मुकद्दर का वहां  ... उठने वाला कुछ नहीं है 
जहाँ ...  मर्ज़ी भी तेरी ' और , दिल भी तेरा 

मुझको पता नहीं है , अलिफ़ बे कुछ भी 
इल्मे मोहब्बत के , रिवाजों के बारे में ,
तू ही बता करके इशारा जो कुछ तुझे पता 
यहां,मैं भी तेरा ' और , मेरा दिल भी तेरा 

दुनियां की परवाह किसे है , ज़रा मुझको बता तू आज 
परवाह दुनियां की दुनियां को नहीं , क्या तुझको नहीं पता 
जहाँ तलक निभ सके निभा  , दस्तूर यही कहता है 
फिर दिल गैर थोड़े ही है ' ये , दिल भी तेरा 
#सारस्वत 
0802016 

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