#
उम्र के ...साथ में
बाल ... पक गए
लक़ीरें ... हाथों की
चेहरे पर ... खिंची
बालपन से निकला
तो ... बड़ा हो गया
मैं भी ... वही हूँ
मेरा ... रास्ता भी वही
मगर ,
नज़रिया मेरा ...
अब ,
बदल सा ... गया है
पहले मैं ,
कल्पनाओं में ... जीता था
हक़ीक़त की ... ज़मीन पर
अब ... मैं खड़ा हूँ
पहले ,
मैं ... बेफ़िक्र बेटा था
अब ,
फिक्रमंद बाप हूँ
#सारस्वत
08122016
उम्र के ...साथ में
बाल ... पक गए
लक़ीरें ... हाथों की
चेहरे पर ... खिंची
बालपन से निकला
तो ... बड़ा हो गया
मैं भी ... वही हूँ
मेरा ... रास्ता भी वही
मगर ,
नज़रिया मेरा ...
अब ,
बदल सा ... गया है
पहले मैं ,
कल्पनाओं में ... जीता था
हक़ीक़त की ... ज़मीन पर
अब ... मैं खड़ा हूँ
पहले ,
मैं ... बेफ़िक्र बेटा था
अब ,
फिक्रमंद बाप हूँ
#सारस्वत
08122016
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें