#
सरेपाँव आदमकद इंसान को ,
जब कोई सर कहकर सम्बोधित करता है ।
तिलक चापलूसी का ,
अभिमान की पताका को महिमामंडित करता है । ।
सर के सर का वजूद कुछ भी नहीं ,
अगर धड़ की सुराही पर टिका ना हो ।
जानता समझता है फिर भी ,
सर का सर गर्दन हिलाकर अनुमोदित करता है । ।
#सारस्वत
24112017